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पंडित तो आश्चर्य से देखता रह गया. एक पल के लिए वह साँप को भूल गया. फिर नजर घुमाई तो देखा कि बांस की चोट से साँप की कमर टूट गयी है और वह लहूलुहान अवस्था में झाड़ी की ओर भागा जा रहा है. हरिनाथ लक्ष्मी माता की जय-जयकार करने लगा!’
लक्ष्मी ने अपनी बहन ज्येष्ठा से पूछा, ‘कहो बहन! बड़प्पन की थाह अभी मिली या नहीं? श्रेष्ठता तो किसी को कुछ देने में प्राप्त होती है छीनने में नहीं.’ ज्येष्ठा ने कोई उत्तर नहीं दिया. वह चुपचाप उदास खड़ी रहीं.
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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