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महल पहुंचकर वृद्ध ययाति ने अपने ज्येष्ठ पुत्र यदु को बुलाया और कहा कि तुम मुझे अपना यौवन दे दो क्योंकि मैं मन से वह सब करना चाहता हूं जो एक नवयुवक करना चाहता है. सहस्त्र वर्ष के बाद मैं तुम्हारा यौवन लौटा दूंगा.

यदु ने बुढापा भोगने से मना कर दिया. क्रोधित ययाति ने शाप दिया- ज्येष्ठ पुत्र होने के बावजूद तुमने पिता की बात ठुकरा दी. तुम्हारे पुत्र या उनके पुत्र कभी राजा नहीं बनेंगे. तुम्हारा वंश में कोई राजा नहीं बनेगा.

ययाति के दूसरे पुत्र तुर्वसु ने भी पिता को भोग-विलास के लिए अपना यौवन दान करने से मना कर दिया. ययाति ने उसे भी शाप दिया- तुम्हारा वंश नष्ट हो जाएगा. तुम्हारे पुत्र अनार्यों के राजा बनेंगे.

तुर्वसु को शाप दे कर ययाति ने शर्मिष्ठा के पुत्र द्रह्यु से भी युवावस्था की भीख मांगी पर द्रह्यु ने भी मना कर दिया. ययाति ने शाप दिया- द्रह्यु तुम ऐसे देश के राजा बनोगे जहां हाथी, घोड़े या रथ का मार्ग नहीं होगा. एकमात्र वाहन नाव रहेगा.

ययाति ने अनु से याचना की. अनु ने भी मना कर दिया. ययाति ने उसे शाप दिया- तुम्हें शीघ्र जरावस्था का सामना करना पडेगा. तुम्हारे पुत्र अपने पूर्ण यौवन में काल कवलित होंगे और तुम इतने दुर्बल रहोगे कि यज्ञ आदि भी नहीं कर सकोगे.

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