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उन्हें लगता था कि उनके घर भी नौकर रहेगा तो समाज में थोड़ी उनकी इज्जत बढेगी और परिश्रम घटेगा और नौकर मांग भी क्या रहा है? पत्नी की बात मानकर विद्यापति ने उगना को नौकरी पर रख लिया.
विद्यापति का नाम राजदरबार तक था. एक बार राजा ने बुलाया तो विद्यापति उगना को साथ लेकर साथ राजा के दरबार को चले. वीरान सुनसान रास्ता था. उससे होकर चले.
गर्मी के वजह से विद्यापति का गला सूखने लगा लेकिन आस-पास पानी मिलने का आसार न था. ऐसा लगने लगा कि प्यास के बिना प्राण ही निकल जाएंगे.
विद्यापति ने उगना से कहा- कहीं से पानी लाओ नहीं तो मैं प्यासा ही मर जाऊंगा. उगना बने भगवान शिव को तो पता ही था कि यहां दूर-दूर तक कहीं पानी नहीं मिलने वाला.
विद्यापति की नजरों से हटकर कुछ दूर गए और वहां अपनी जटा खोलकर एक लोटा गंगाजल भर लाए. विद्यापति ने जब शीतल जल पिया तो उन्हें गंगा जल का स्वाद लगा.
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