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राक्षस को पैदा कर अंबरीश का अहित करने की कोशिश तो दरअसल दुर्वासा ने की थी इसलिए अपने स्वामी के आदेश पर सुदर्शन चक्र दुर्वासा का पीछा करने लगा. भयभीत दुर्वासा जान बचाने के लिए भागे.

दुर्वासा, ब्रह्मा के पास गए. ब्रह्मा ने कहा कि सुदर्शन चक्र को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं है. आप शिवजी से सहायता मांगें क्योंकि सुदर्शन उनका ही अस्त्र है.

दुर्वासा शिवजी के पास पहुंचे. शिवजी ने भी हाथ खड़े कर लिए. उन्होंने कहा कि मैंने तो सुदर्शन नारायण को दे दिया है. इसलिए अब वही उसके स्वामी हैं. सुदर्शन को तो श्रीहरि ही रोक सकते हैं.

शिवजी ने दुर्वासा को सुझाव दिया कि वह अंबरीश से क्षमा मांग लें. दुर्वासा ने अंबरीश से क्षमा मांगी. अंबरीश ने नारायण को याद किया और दुर्वासा की रक्षा के लिए प्रार्थना की. सुदर्शन श्रीहरि के पास लौट गया.(श्रीमद् भागवत कथा)

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