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जाजलि को बड़ा क्रोध आया. उन्होंने उसे शाप दे दिया कि तुम बक की तरह मछलियां पकड़ रहे हो इसलिए जाओ बक ही हो जाओ. उत्कल ने मुनि से क्षमा मांगी और शापमुक्त करने को कहा.

जाजलि ने कहा कि उनका शाप व्यर्थ नहीं जा सकता लेकिन मेरा वरदान तुम्हारे लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा. स्वयं श्रीकृष्ण तुम्हारा उद्धार करेंगे और तुम्हें जन्म-मृत्यु के बंधनों से मुक्त करके मोक्ष दिलाएंगे.

जब बलराम एवं अन्य बालकों ने देखा कि श्रीकृष्ण बगुले के मुंह से निकलकर वापस आ गए हैं तो वे खुशी से नाचने लगे. इसके बाद अपने-अपने बछड़े हांककर सब वृंदावन में आए और वहां उन्होंने घर के लोगों को सारी घटना कह सुनाई.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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