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वह बक नामक असुर था जो बगुले के रूप में रहता था. कंस के भेजे राक्षसों के एक के बाद एक के मारे जाने से कंस भयभीत था. उसने अपने सभी सहयोगियों से सहायता की गुहार लगाई थी.
बकासुर कंस का मित्र था औऱ वह श्रीकृष्ण पर आघात करने आया था. बकासुर की चोंच बड़ी तीखी थी. उसमें हजारों हाथियों का बल था. उसने मौका देखकर झपटा मारा और श्रीकृष्ण को निगल लिया.
ग्वाल-बाल हाकाकार करने लगे. श्रीकृष्ण जब बक के तालु के नीचे पहुंचे, तब उन्होंने योगमाया से अपने शरीर को प्रचंड अग्नि के समान तपना शुरू कर दिया. इससे बकासुर का तालु जलने लगा.
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