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चित्रलेखा ने चार महीने तक दोनों को छुपाकर रखा. बाणासुर के दूतों ने अनिरूद्ध को खोज निकाला. बाणासुर सेवकों के साथ अनिरूद्ध को पकड़ने आया. अनिरूद्ध ने मुद्रर से भयंकर युद्ध किया और बाणासुर के सैनिकों को मार गिराया.

अनिरूद्ध को हावी होता देख बाणासुर ने नागपाश फेंका और उसे बंदी बना लिया. श्रीकृष्ण और बलराम ने नारायणी सेना समेत आए बाणासुर पर चढ़ाई की. महादेव की कृपा से प्राप्त एक हजारों भुजाओं से बाणासुर ने घोर संग्राम आरंभ किया.

परंतु वह श्रीकृष्ण के सामने टिक नहीं पाया. हाकर निश्चित देखकर बाणासुर ने शिवजी को पुकारा. बाणासुर ने शिवजी से छलपूर्वक वचन ले लिया था कि वह एक संग्राम में उन्हें पुकारेगा तो वह पूरी सेना के साथ सहायता को आएंगे.

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