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उषा ने अनिरूद्ध का जैसा वर्णन किया बिलकुल वैसा चित्र चित्रलेखा ने तैयार किया. उषा ने चित्र को देखते ही स्वप्न में आए पुरूष को पहचान लिया और सखी से कहा कि अगर उसकी शादी इनसे न हुई तो वह अपने प्राण त्याग देगी.

इस विवाह में एक बड़ी समस्या यह थी कि उषा के पिता बाणासुर और श्रीकृष्ण में पुरानी शत्रुता थी. जाहिर था कि उषा अपनी बात पिता से कह भी नहीं सकती थी.

चित्रलेखा ने उषा से कहा- उषा अनिरूद्ध का विवाह छल-बल के प्रयोग से ही हो सकता है. उषा इसके लिए हिचक रही थीं. चित्रलेखा ने श्रीकृष्ण और रूक्मिणी के विवाह की कथा सुनाकर उन्हें छल-बल के प्रयोग के लिए मना लिया.

चित्रलेखा अपनी माया से द्वारका पहुंची. अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करके उसने सोते हुए अनिरूद्ध को बिस्तर समेत उड़ा लिया और लाकर उषा के महल में रख दिया.

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