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अर्जुन ने हैरत से श्रीकृष्ण की ओर देखा और रथ से उतर गए. श्रीकृष्ण के उतरने के बाद हनुमानजी रथ से उड़ गए. उनके उड़ते ही रथ में भयंकर विस्फोट हुआ और उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए.

पांडवों में खलबली मची. श्रीकृष्ण ने कहा- डरने की बात नहीं. शत्रुपक्ष के दिव्यास्त्रों के प्रहार से यह रथ तो कब का नष्ट हो चुका था. इसे तो मैंने और हनुमानजी ने संभाल रखा था. हमारे रथ से अलग होते ही यह नष्ट हो गया.

श्रीकृष्ण न होते तो महाभारत की कथा ही अलग होती लेकिन धर्म की रक्षा के लिए भगवान न आएं, ऐसा हो ही नहीं सकता.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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