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गणेशजी के धड़ में हाथी के बच्चे का मस्तक जोड़ा गया था. हाथी की सुंदरता बढ़ाने वाले दो दांत होते हैं. लेकिन परशुराम के साथ युद्ध में गणेशजी का एक दांत भी टूट गया और एकदंत कहलाए. शरीर भी उनका थुलथुल. लंबे पेट वाले लंबोदर की सुंदरता की हानि हो गई.
कोई सुशील कन्या गणेशजी से विवाह को राजी नहीं थी. जबकि अन्य देवताओं का विवाह हो रहा था. गणेश को बड़ा क्रोध आया. गणेशजी ने सोचा कि अगर उनका विवाह नहीं हो रहा तो वह किसी और का विवाह भी नहीं होने देंगे.
उन्होंने अपने वाहन चूहे को आदेश दिया कि जिस रास्से से किसी भी देवता की बारात गुजरने वाली हो, उस रास्ते को और विवाह मंडप की भूमि को अंदर से खोखला करके विघ्न डालो.
चूहे ने स्वामी की आज्ञा मानी. इससे देवताओं को विवाह में बड़ी दिक्कतें आने लगीं. कोई भी बारात समय पर नहीं पहुंचती. विवाह शुभ मुहूर्त में हो नहीं पाते.
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