अक्षय तृतीया पर भविष्य पुराण व पद्म पुराण में कई संदर्भ हैं. श्रीकृष्ण द्वारकाधीश बने तो सुदामा की पत्नी ने कहा-भूखो मरने से अच्छा है राजा की सहायता से जीवनरक्षा. सुदामा श्रीकृष्ण को दरिद्रता बता नहीं पाए पर प्रभु से कुछ छिपा है क्या? सुदामा की झोपड़ी के स्थान पर महल खड़ा था. मित्र की कृपा से दरिद्र सुदामा अक्षय तृतीया के दिन अक्षय संपदा के स्वामी बने थे.

इसके गूढ़ मायने हैं परंतु हम अक्षय तृतीया को बस सोना खरीदने का दिन मान लेते हैं.श्रीमदभागवत के अनुसार स्वर्ण तो कलि का स्थान है फिर वह अक्षय पुण्य का साधन कैसे हुआ? पुराणों में गरीबों को दान का संदर्भ तो है पर सोना खरीदने का नहीं. अक्षय पुण्य अर्जित करना है तो आज अतिथियों का भरपूर सम्मान करें. कोई याचक खाली हाथ न लौटे.सोने के गहने खरीदने की परंपरा चली क्योकि फसल की कटाई पर किसानों के पास कुछ धन जमा होता था. तब धन संचय का सबसे अच्छा साधन था स्वर्ण खरीदना, बैंक या निवेश जैसे प्रबंध नहीं थे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here