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रामप्रियाय रधुनाथ वरप्रदाय
नाग प्रियाय नरकार्ण अवताराणाय।
पुण्येषु पुण्य भरिताय सुरार्चिताय,
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।7
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातंग चर्म वसनाय महेश्वराय,
दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।8
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्व रोग निवारणम्
सर्व संपत् करं शीघ्रं पुत्र पौत्रादि वर्धनम्।।
शुभदं कामदं ह्दयं धनधान्य प्रवर्धनम्
त्रिसंध्यं यः पठेन् नित्यम् स हि स्वर्गम् वाप्युन्यात्।।9
।।इति श्रीवशिष्ठरचितं दारिद्रयुदुखदहन शिवस्तोत्रम संपूर्णम्।।
प्रस्तुतकर्ताः
डॉ. नीरज त्रिवेदी, ज्योतिषाचार्य व पीएचडी
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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Very good stotra.I like it.I want to read regularly.
Nic
Bhut hi sunder gian verdhak bhi jai siya ram ji ki