रक्षाबंधन या राखी बांधने का सही मुहूर्त, शास्त्रों में कहा गया विधान, वैदिक रक्षाबंधन या राखी बनाने की विधि सब आज जानेंगे.

रक्षाबंधन या राखी गणेशजी को रक्षाबंधन

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रक्षाबंधन या राखी 2019 का शुभ मुहूर्तः

रक्षाबंधन को इस बार भद्रा नहीं रहेगी. इसलिए पूरे दिन बहनें, भाइयों को राखी बांध सकती हैं.  सुबह 5 बजकर 54 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है. लेकिन इसमें से डेढ़ घंटे के राहुकाल का ध्यान रखें.

दोपहर 02:03 से लेकर 03:41 बजे तक राहुकाल है. राहुकाल शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए इस दौरान रक्षाबंधन से बचें.

किसी वजह से दिन  राखी नहीं बांध पाएं तो रात्रि में भी राखी बांधी जा सकती है. 15 अगस्त 2019 को शाम 07 बजे से लेकर रात्रि 9 बजकर 45 मिनट तक का समय रक्षाबंधन के लिए शुभ है.

सभी बहनों से अनुरोध है कि यदि वे मुहूर्त का विचार कर रही हैं तो फिर राखी में भी शुभता का विचार करें. वे वैदिक राखी ही बांधें. वैदिक राखी वह राखी है जो शास्त्रअनुसार बनाई जाती है. इसे बनाना बहुत सरल है. वैदिक राखी बनाने की विधि नीचे हैं. भाइयों के कल्याण के लिए वैदिक राखी का ही प्रयोग करें. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं यह आप इस पोस्ट में समझ जाएंगे.

वैदिक राखी क्या है?

बहनें अपने भाई को रक्षाबंधन या राखी या रक्षासूत्र बांधती हैं. यदि वैदिक रीति से इसे बनाएं तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है. वैदिक रक्षाबंधन या राखी या रक्षासूत्र बनाने की विधि कही गई है. वैदिक रक्षाबंधन या राखी या रक्षासूत्र बनाना बहुत सरल हइसके लिए 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है-

1. दूर्वा घास

2. अक्षत चावल

3. केसर

4. चन्दन और

5. सरसों के दाने.

इन पाचों वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें. फिर उसे कलावा में पिरो दें. इस प्रकार वैदिक रक्षाबंधन या राखी तैयार हो जाएगी. यह वैदिक रीति से बनाई गई राखी है और यही सर्वश्रेष्ठ है. इसे ही बांधना चाहिए. बाजार से ली गई राखी भी बांधें परंतु यदि ये राखी नहीं बांधी तो फिर आप वैदिक रीतियों पर पूरे नहीं हुए. बाजार की चमचमाती चीनी राखियां बेशक आकर्षक हो सकती हैं परंतु उसमें पवित्रता ऐसी न होगी.

इन पांच वस्तुओं के बांधने के पीछे बहुत बड़ा कारण है. आप इन्हें जानेंगे तो आश्चर्य में रह जाएंगे. आखिर हम क्यों नहीं बांध रहे हैं यह वैदिक रक्षाबंधन या राखी. चीन की बनी राखियां खरीदने से अच्छा है बहनें अपने भाइयों के लिए पांच मिनट का समय निकालकर स्वयं बनाएं ऐसी राखी. इस राखी की तस्वीरें वे फेसबुक आदि पर पोस्ट करें. इससे हमारे धर्म का प्रचार भी होगा और शत्रु चीन का बहिष्कार भी होगा. जो भाई इसे पढ़ रहे हों वे अपनी बहनों से अनुरोध करें कि ऐसी राखी बनाओ.

आपने बाजार की राखी खरीद ली है तो भी कोई बात नहीं. वैदिक रक्षाबंधन या राखी भी बना लें. पहले इसे बांध लें फिर बाजार की राखी भी बांध लें.

दोनों राखियां बांध रही हैं तो फिर आपको विधिवत बांधना चाहिए. इसके कुछ छोटे-छोटे विधि-विधान बताए गए हैं. जिसे पूरा करने में मुश्किल से पांच मिनट का समय लगता है. तो क्यों न उसे भी जानकर पूरा किया जाए. आखिर साल में एक ही बार आता है रक्षाबंधन या राखी का पर्व.  बहनें अपने भाइयों को एक छोटी सी कथा भी अवश्य सुनाएं जो भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी. बहुत छोटी सी कथा है. उसे आप इस लिंक से पढ़ सकते हैं. इसी लिंक में विधान भी मिल जाएगा.

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रक्षाबंधन या राखी या रक्षासूत्र में क्यों बांधते हैं ये पांच वस्तुएंः


1. दूर्वाः

आपने दूर्वा घास देखा होगी. यह बहुत तेजी से बढ़ता है. एक बीज कहीं से आ जाए बस जल्द ही चारों ओर फैल जाता है. इसमें ऐसी ताकत है कि स्वयं अपने दम पर अपना विस्तार कर लेता है. इसे उखाड़ भी दिया जाए तो भी फिर से उग आता है. यह संघर्षों के बीच से पुनः खड़ा हो जाने का प्रतीक है. दूर्वा डालने का अर्थ है कि जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलकर हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो. मेरे भाई के अंदर सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ती जाए. दूर्वा गणेशजी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में गणेशजी समस्त विघ्नों का नाश कर दें. सोचिए कितनी पवित्रता कितना भाव है इसमें, क्या बाजार की राखी में यह होगा?

2. अक्षतः

अक्षत प्रतीक है कि आसपास के टूटे-बिखरे वस्तुओं के बीच भी वह पुष्ट और पूरा अस्तित्व बचाए रखता है. अक्षत डालने का तात्पर्य है कि हमारी गुरुदेव, इष्टदेव, परिजनों एवं समस्त पूज्यजनों के प्रति श्रद्धा-प्रेम का भाव कभी भी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे. चाहे कितने भी उतार-चढ़ाव आ जाएं हम इस सूत्र को स्मरण करके उन्हें भुला देंगे और पुनः संबंध अक्षत रहेंगे. कितना पवित्र भाव है.

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3. केसरः

केसर की प्रकृति तेज़ होती है. अर्थात हम जिसे रक्षाबंधन या राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो. उसके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम न हो. उसका जीवन ज्ञान से प्रकाशित रहे और वह अपने तेज से सबको प्रभावित कर ले.

4. चन्दनः

चन्दन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुगंध भी देता है. उसी प्रकार भाई के जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो. तेज के साथ इस बात की आशंका रहती है कि व्यक्ति में अभिमान आ जाए. उसका दिमाग चढ़ जाए. इसलिए शीतलता आवश्यक है. रक्षाबंधन या राखी में चंदन डालने का यह कारण है. साथ ही भाई के जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे इसका भाव भी है.

5. सरसों के दाने

सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है.इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, बाधाओं को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें. मैं जो रक्षाबंधन या राखी बांध रही हूं वह मेरे भाई को सामर्थ्य दे. वह छोटी-मोटी समस्याओं से विचलित न हो. उसे पार करने में पारंगत हो जाए.

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किस-किस को बांधे रक्षाबंधन या राखीः

— पांच वस्तुओं से बना वैदिक रक्षाबंधन या राखी सावन पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम अपने इष्ट भगवान या गुरू को अर्पित करें.

— फिर रक्षाबंधन के शुभमुहूर्त का विचार करके बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे.

— महाभारत में यह रक्षासूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी. जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई. इसलिए रक्षाबंधन के पर्व को सिर्फ सीमित करके नहीं देखना चाहिए.

— जिनके घर में लड्डू-गोपाल हैं और यदि वे उन्हें भाई के भाव से भजते हैं वे लडडू-गोपाल को भी रक्षाबंधन को रक्षासूत्र अवश्य बांधें.

एक निवेदनः

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आप सभी को रक्षाबंधन की अनंत शुभकामनाएं.  तिलक लगाने की विधि जानना हो तो इसे भी पढ़ सकते हैं-

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