शिव परिवार- शिव-पार्वती कृपा से उत्तम संतान

संतान प्राप्ति के लिए  समागम को शास्त्रों में संतान यज्ञ कहा गया है. उसके लिए आवश्यक मिलन को आहुति जैसा दर्जा है. गर्भधारण से पूर्व बहुत से ऐसे विधान हैं जिनका पालन करने से होती है उत्तम संतान. गर्भधारण से जुड़ी शास्त्राधारित बातें जिनका रखें ध्यान तो होगी उत्तम संतान.

शिव-पार्वती के आशीर्वाद से गर्भधारण करके पाएं उत्तम संतान

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यह पोस्ट क्यों पढ़ें, किसके लिए है?

यह पोस्ट हर उस सनातनी के लिए है जिसका विवाह हुआ है और जो संतान प्राप्ति की लालसा रखता है. जिसे भविष्य में विवाह और संतान उत्पन्न करने की लालसा है. उन माता-पिता के लिए जरूरी है जिनकी विवाह योग्य संतानें हैं. विवाह से पूर्व उन्हें संतान को कुछ जानकारियां देनी हैं.  जिनकी संतान हो चुकी है परंतु उसे कई बाधाएं आ रही हैं उनके लिए भी कई उपयोगी जानकारियां हैं.

  • संतान प्राप्ति में होने वाली बाधा के क्या कारण हैं?
  • बाधा दूर करने के क्या उपाय हैं?
  • उत्तम संतान प्राप्ति के लिए गर्भधारण की सही विधि क्या हो?
  • गर्भधारण के लिए पति-पत्नी को सहवास करने से पहले क्या नियम हैं?
  • संतान प्राप्ति की लालसा से पति-पत्नी शैय्या पर किन नियमों का पालन करें, समागम से पूर्व किस देवता की प्रार्थना करें?

ज्यादातर लोगों को गर्भधारण के लिए बताए गए शास्त्रीय विधानों का पता ही नहीं है. गर्भधारण के लिए यौनसमागम और कामपीड़ा की तृप्ति के लिए यौनसमागम में अंतर है. ज्यादातर लोग इसमें भूल करते हैं जिससे संतान के साथ जीवनभर बाधाएं रहती हैं. ज्योतिष की भी सीमा है. आप यदि जन्म के पूर्व से ही उसके नियमों का पालन करते रहेंगे तो संतान का भविष्य वांचना आगे बहुत सरल रहता है.

पोस्ट ज्योतिषशास्त्र की व्यापक मान्यता पर आधारित है. जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति पर यह सटीक हो ही जाए क्योंकि संतानबाधा में पूर्वजन्म के दोष, पितृदोष भी बड़े कारक होते हैं. फिर भी ज्यादातर मामलों में यह सटीक साबित होता है. संतान प्राप्ति एक बड़ा यज्ञ है. उस यज्ञ से जुड़ी सारी बातें हर व्यस्क को अच्छे से पता होनी चाहिए. धैर्य के साथ इस पोस्ट को पढ़िएगा. उत्तम संतान प्राप्ति कैसे हो, इसका मार्ग दिखाएगी. 

आइए सबसे पहले जानते हैं कि संतान बाधा के कारक क्या हैं?

  • जन्मकुंडली में पांचवां भाव संतान का भाव होता है. यदि पांचवें भाव में शुभ ग्रह स्थिति हों अथवा शुभ्र ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक स्वस्थ और बुद्धिमान संतान से युक्त होता है.
  • यदि पंचम भाव अगर पीड़ित हो तो दंपत्ती को संतान प्राप्ति में बहुत सी बाधाएं आती हैं. गर्भधारण बाधित रहता है. गर्भ ठहरता नहीं. ठहर जाए तो असमय नष्ट हो जाता है. इससे कई बार तो दंपत्ती संतानहीन रह जाते हैं.

शास्त्रों में संतान की कामना पूरा करने के कुछ कारगर और सरल उपाय बताए गए हैं. उनसे संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, उत्तम संतान प्राप्ति होती है. आज मैं इसके दो सरल उपायों पर चर्चा करूंगा.

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि पति-पत्नी दोनों या किसी एक की भी कुंडली का पंचम भाव यदि पापग्रह से पीड़ित हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है. पंचम भाव लग्न से या चंद्रमा से पीड़ित हो अथवा पंचम भाव से पंचम भाव और बृहस्पति की स्थिति अच्छी न हो तो भी संतान प्राप्ति में बाधा आती है.

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संतान बाधा दूर करने के उपायः

पंचम भाव को जो ग्रह पीड़ित कर रहे हों सबसे पहले उनकी शांति करानी चाहिए. उन ग्रहों की शांति किसी अच्छे ज्योतिषी के परामर्श पर वैदिक मंत्र, बीज मंत्र और तंत्र-मंत्र से करा लेनी चाहिए.

यदि बृहस्पति के दोष के कारण बाधा आ रही है तो उसके लिए बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाय स्वयं भी करने चाहिए. इसके लिए केले में जल देना, गुरूवार को व्रत रखना, पीला वस्त्र धारण करना और बृहस्पति के बीज मंत्र की साधना स्वयं पति-पत्नी को करना चाहिए.

इन उपायों के साथ-साथ संतान गोपाल मन्त्र का जप जरूर करना चाहिए. छोटा सा संतान गोपाल मंत्र बहुत प्रभावशाली कहा गया है. इस मंत्र का सवा लाख जप या यथासंभव जप करके इसे सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिए. यदि स्वयं संभव न हो तो किसी वैदिक ब्राह्मण से कराना चाहिए.

स्वस्थ्य, सुंदर संतान प्राप्ति के लिए यह मंत्र पति-पत्नी दोनों के द्वारा किया जाए तो परिणाम सुंदर होता है.

संतान गोपाल मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुतं गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।

संतान प्राप्ति में बाधा या जन्मी हुई संतान के स्वास्थ्य या अन्य समस्याओं का एक बड़ा कारण है- समागम विचार की उपेक्षा. संतान प्राप्ति एक यज्ञ है. इसमें देवताओं की कृपा से ओज गर्भ में स्थापित होता है. इसलिए जैसे किसी भी यज्ञ में मुहूर्त आदि का विचार होता है उसी प्रकार संतान प्राप्ति के लिए किए गए समागम में भी विचार करना चाहिए.

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यौन आनंद की प्राप्ति के उद्देश्य से किए गए संभोग से ठहरा गर्भ बाधित रहता ही है. हम आपको संतान प्राप्ति के लिए समागम के जो विधान कहे गए हैं उससे परिचित कराते हैं.


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अगले पेज पर संतान प्राप्ति के उपाय, समागम कब करें, कब नहीं. समागम मुहूर्त का विचार नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

1 COMMENT

  1. ऋतु स्नान जिस दिन करे वो दिन पहला दिन गिना जायेगा की नही जय श्री राम

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