ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर ग्रह का सम्बन्ध किसी ना किसी पशु-पक्षी से है. देवी-देवताओं का वाहन पशु-पक्षी हैं. पशु-पक्षी की सेवा से ग्रहों की अशुभता दूरकर सुख-समृद्धि पा सकते हैं. जानेंगे पशु-पक्षी से जुड़े प्रयोगों को जो जीवन के कष्टों का अंतकर सुख-शांति-समृद्धि देते हैं.
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सनातन धर्म प्रकृति पूजक है. पृथ्वी को माता का स्थान है. हम वृक्षों की पूजा करते हैं. उनमें देवताओं का वास मानते हैं. जो पेड़ प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं उनकी पूजा क्यों न हो! हर देवी-देवता का कोई न कोई पशु पक्षी वाहन है. हालांकि देवी-देवताओं को आवागमन के वाहन की आवश्यकता नहीं. फिर भी उन्होंने किसी न किसी पशु-पक्षी को यह गौरव दिया. कारण स्पष्ट है देवता पशु-पक्षियों पर अपनी विशेष कृपा रखते हैं.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर ग्रह का सम्बन्ध किसी ना किसी पशु-पक्षी से होता है. जब देवी-देवताओं का वाहन हैं पशु-पक्षी तो उनकी सेवा से उस देवता तक अपनी सिफारिश तो पहुंच ही जाएगी. किसी अधिकारी से काम निकालना हो तो उसके सेवक को पटाने से लाभ हो जाता है. धन, दांपत्य सुख, संतान सुख, आजीविका, शत्रुभय से मुक्ति,अशुभता का नाश आदि में कुछ पशु-पक्षी की सेवा बहुत कारगर मानी गई है.
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सात ऐसे पशु-पक्षी से जुड़ी सेवा के बारे में बताएंगे जिससे आपकी सभी परेशानियों का निदान मिल सकता है. ये आजमाए हुए उपाय हैं. लंबे समय से किया जा रहा है और करोड़ों लोगों को इनसे लाभ हुआ है. हम जिन सात पशु-पक्षी से संबंधित उपाय लेकर आए हैं वे उपाय सरल है. ये पशु-पक्षी हमारे आस-पास ही है. ध्यान से पढ़िएगा.
इस पोस्ट में जीवन की बहुत सी समस्याओं का निदान पशु-पक्षी की सेवा से बताया गया है. आप पूरा पोस्ट पढ़ें. आपके जीवन से जुड़ी समस्या न जाने किस पेज पर हो. आपको अपने उपर जो समस्या दिखती है उसके अनुसार पशु-पक्षी की सेवा कर लें. उपाय सरल हैं और मामूली खर्च वाले हैं.
शुरुआत करते हैं सबसे निरीह प्राणी चींटी की सेवा से क्या-क्या लाभ होता है.
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चींटी की सेवा:
शास्त्रों में चींटी को भी नारायण का प्रतीक माना गया है. इसके पीछे एक कथा आती है. हिरण्यकश्यपु ने नारायणभक्त पुत्र प्रहलाद को कई प्रकारों से सताया था. एकबार लाल जलते लोहे के खंभे को उसे आलिंगन करने के लिए कहा गया. प्रहलाद ने नारायण को चींटीरूप में उस तपते हुए लोहे के स्तंभ पर घूमते देखा. प्रसन्न प्रहलाद ने लौहस्तंभ को भुजाओं में भर लिया. वह लौहस्तंभ भी शीतल जल के समान हो गया था. इसलिए चींटी रूप में नारायण के दर्शन देने के कारण चींटियों का शास्त्रों में महत्व है.
काली चींटी को बहुत शुभ और लाल चींटी को अशुभ माना गया है परंतु दोनों की सेवा करनी चाहिए.
चींटी को आटा डालने से राहु एवं शनि दोषों का शमन होता है.
यदि राहु, केतु एवं शनि की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा चल रही हो तो आटे में चीनी मिलाकर उसे घी से भुन लें और चींटियों के बिलों पर रख दें. उसे गोला बनाकर शनिवार पीपल, बरगद, पिलखन या शमी की जड़ में दबाएं. गर्मी या वर्षा ऋतु में यदि यह उपाय किया तो क्रूर ग्रहों की शांति होती है. परेशानियों का निश्चित रूप से निदान होता है. आजमा कर देखा जा सकता है.
चींटियों को आटा और शक्कर खिलाने से कर्ज का बोझ भी धीरे-धीरे उतरता है.
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अति सुदर वचन। धनयवाद।