पूजन-हवन के दौरान कामासक्ति का भाव आना पाप माना जाता है. कई बार भूले से सहसा ऐसा हो जाता है. इस पाप से मुक्ति दिलाती है जया एकादशी. जया एकादशी की विधि, व्रत कथा.
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भाद्रपद के कृष्णपक्ष एवं माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी दोनों को ही जया एकादशी कहा गया है.
जया एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण एकादशी व्रत माना जाता है. भूल-चूक से हुए कई बड़े पापों से मुक्ति दिलाती है जया एकादशी. कई बार कामासक्ति के कारण देव-अपराध हो जाते हैं. मंदिर आदि में अथवा किसी देवपूजन के अवसर पर मन में आए आसक्ति के भाव पाप के कारण होते हैं. ऐसे देव अपराध के पापफल से मुक्ति के लिए जया एकादशी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
कामपीड़ित देवसेविका पुष्पवती देवसभा में माल्यवान पर कामासक्त हो गई थी. उसने माल्यवान को भी पतित कर लिया था. इस अपराध के कारण वे पिशाच योनि में चले गए थे. पिशाचयोनि में भटकते उनकी मुक्ति जया एकादशी के पुण्यफल से हुई थी. इसलिए जया एकादशी का व्रत कर ही लेना चाहिए ताकि भूल-चूक से भी हुए देव अपराध के पाप कट जाएं.
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वैसे तो दोनों ही एकादशी करें तो उत्तम फिर भी किसी कारणवश यदि भाद्रपद की एकादशी नहीं कर पाते तो माघ मास की जया एकादशी अवश्य कर लें. प्रभु शरणम् एप्प में व्रत-त्योहारों का कैलेंडर है जिसमें अलार्म भी सेट किया जा सकता है.
यानी यदि आप भाद्रपद की एकादशी नहीं कर पा रहे तो आज ही माघ मास की एकादशी के लिए अलार्म सेट कर सकते हैं. एकादशी के एक दिन पूर्व आपको स्वतः स्मरण करा देगा ताकि आप दसमी से लेकर एकादशी तक के पूरे विधि-विधान कर सकें. ऐप्पस का लिंक ऊपर दिया गया है. पुनः देते हैं- यहां क्लिक करके ऐप्पस डाउनलोड कर लें.
एकादशी का व्रत तो दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है. दसमी की रात्रि को ही कुछ नियम-परहेज आरंभ हो जाते हैं.
आइए पहले जया एकादशी के व्रत का विधान, माहात्म्य और फिर एकादशी की कथा से आपको परिचित कराएं. सबसे पहले कैसे करनी है पूजा यह जानिए.
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