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समुद्रतट पर एक व्यक्ति चिंतित बैठा था. इतने में उधर से विभीषण निकले. उन्होंने उस व्यक्ति से पूछाः क्यों भाई! तुम किस बात की चिंता में पड़े हो?
उस व्यक्ति ने कहा- मुझे समुद्र के उस पार जाना है परंतु मेरे पास समुद्र पार करने का कोई साधन नहीं हैं. मुझे इसी बात की चिंता हैं.
विभीषण ने कहा- अरे भाई, इसमें इतनी चिंता और इतना उदास होने की क्या बात हो गई? मैं तुम्हें सागर पार करने की अचूक युक्ति बताता हूं.
ऐसा कहकर विभीषण ने एक पत्ते पर एक नाम लिखा. उस पत्ते को विभीषण ने उस व्यक्ति की धोती के पल्लू से बाँधते हुए कहा- इसमें मैंने तारकमंत्र बांध दिया है.
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