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पिछली कथा
दारूवन के ऋषियों ने अंजाने में शिवजी का अपमान कर दिया. वे ब्रह्माजी के पास पहुंचे. ब्रह्माजी ने उन्हें एक कथा सुनाई कि कैसे अतिथि को शिवस्वरूप समझकर एक ब्राह्मण ने मृत्यु को जीत लिया.
ब्रह्माजी ने ऋषियों से कहा- तुम सब शिव के अपराधी हो. इसलिए उनकी शरण में जाकर उन्हें प्रसन्न करो. उनकी कृपा से श्वेत मुनि ने सारे असंभव को संभव किया था. ऋषियों की विनती पर ब्रह्माजी ने श्वेत मुनि की कथा सुनानी शुरू की.
एक बार की बात है. श्वेत नामक एक मुनि पहाड़ की गुफा में रहकर रुद्रमंत्र का निरंतर जप करते हुए महेश्वर की आराधना करते थे. श्वेत मुनि को तपस्या करते बहुत से वर्ष बीत गये.
भगवान शिव सिद्ध हुए या नहीं यह तो स्पष्ट न हो सका पर श्वेत मुनि की आयु अवश्य पूरी हो गयी. गुफा में भगवान शिव की तपस्या में लीन शिवभक्त श्वेत मुनि को लेने के ले जाने के लिए काल स्वयं आया.
श्वेत मुनि ने गुफा में मिट्टी का शिवलिंग स्थापित कर रखा था और उसी की पूजा निरंतर करते थे. उनका विश्वास था कि इस शिवलिंग में भगवान शिव साक्षात बिराजते हैं.
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