माता लक्ष्मी की बड़ी बहन हैं दरिद्रा या ज्येष्ठा. लक्ष्मी संपदा लेकर आती हैं तो ज्येष्ठा दरिद्रता. लक्ष्मी धन देती है, दरिद्रा छीन लेती हैं. लक्ष्मी और दरिद्रा के बीच यह विवाद क्यों है?
एक कहावत है न कि देने वाला छीनने वाले से बड़ा होता है. यह कहावत प्रचलित हुई है माता लक्ष्मी और दरिद्रा के बीच के विवाद से. ज्येष्ठा जिनका नाम दरिद्रा भी है, लक्ष्मी जी की बड़ी बहन हैं. स्वभाव दोनों का एक दूसरे से बिल्कुल उलट. लक्ष्मी जी जहां अन्न-धन देती हैं वहीं दरिद्रा सब छीन लेती हैं. दरिद्रा बड़ी बहन हैं, ऐसे में करें भी तो क्या करें लक्ष्मी जी.
देवियों के बीच विवाद का मूल भी बिल्कुल वैसा ही जो पृथ्वीवासी दो स्त्रियों के मध्य हो सकता है. दोनों ही परम रूपवती, दोनों नारायण से विवाह को इच्छुक थीं. परंतु नारायण ने चुना छोटी बहन को. स्वाभाविक है कि ईर्ष्या हो. ईर्ष्या द्वेष की सीमा तक पहुंच गई. नारायण ने रविवार को पीपल में दरिद्रा को वास दिया है. इसलिए भूले से भी रविवार को पीपल की पूजा या परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. पीपल यदि काटना हो तो रविवार को काटते हैं.
आज आपको माता लक्ष्मी और दरिद्रा के बीच विवाद की एक सुंदर कथा सुनाता हूं. आशा है आपको पसंद आएगी. अनुरोध है, पढ़ने के बाद इसे फेसबुक पर शेयर जरूर कर देंगे. इससे हमें हौसला मिलता है आपके लिए कथाएं लेकर आने का.
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कथा आरंभ होती है-
एक दिन ज्येष्ठा ने लक्ष्मीजी से पूछा, ‘सुंदरता में हम दोनों बराबर हैं. फिर भी लोग तुम्हारा आदर करते हैं और मैं जहाँ भी जाती हूँ वहाँ उदासी छा जाती है. हम सगी बहनें हैं लेकिन तुम्हें पाने को लालायित रहते हैं जबकि मुझे उनकी घृणा का शिकार होना पड़ता है. ऐसा क्यों?’
लक्ष्मीजी ने हँसकर कहा, ‘सगी बहन या सुंदरता में बराबरी की होने से ही आदर नहीं मिलता. उसके लिए कर्म भी करने पड़ते हैं. मैं जहां जाती हूं सुख-साधन जुटा देती हूँ इसलिए मेरी पूजा होती है. तुम जिस घर में जाती हो उसे ग़रीबी, रोग और आपदा सहनी पड़ती है. इसी वजह से लोग तुमसे घृणा करते हैं. आदर पाना है तो दूसरों को सुख पहुँचाओ.
ज्येष्ठा को लक्ष्मी जी की बात चुभ गई.
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उन्होंने क्रोध में कहा, ‘लक्ष्मी! तुम मुझसे सिर्फ उम्र में ही छोटी नहीं हो बल्कि प्रभाव में भी छोटी हो. मुझे उपदेश मत दो. तुम्हें अपने वैभव का अहंकार है तो मेरा भी अपना प्रभाव है. मैं जब अपना प्रभाव दिखाने पर आ जाऊँ तो तुम्हारी सेवा से बने करोड़पति को पलभर में भिखारी बना सकती हूं. ‘
लक्ष्मी जी कहने लगीं, ‘बहन! सच है कि तुम उम्र में बड़ी हो लेकिन जहाँ तक प्रभाव की बात है उसका बखान न करो. जिसको तुम भिखारी बनाओगी उसे मैं दूसरे दिन रंक से फिर राजा बना दूँगी.’
बात छोटी सी थी पर बढ़ते-बढ़ते बढ़ गई. दोनों बहनों में खूब कहासुनी हुई.
दरअसल समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मीजी से पहले उनकी बड़ी बहन ज्येष्ठा जिनका नाम दरिद्रा भी है, वह प्रकट हुई थीं. ज्येष्ठा नारायण से विवाह करना चाहती थीं किंतु भगवान ने लक्ष्मीजी का वरण किया. इससे ज्येष्ठा और लक्ष्मीजी में मनमुटाव था जो समय-समय पर बाहर आता रहता था. तय हुआ कि दोनों बहनों में कौन श्रेष्ठ है, इसका फैसला करने के लिए दोनों अपने-अपने प्रभाव का प्रदर्शन करेंगी.
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