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भगवान शिव ने शनिदेव का ग्रहों के बीच दंडाधिकारी का पद दिया है. वह हर व्यक्ति के कार्यों का लेखा जोखा करके उसकी जीवन अवधि में दंडविधान करते हैं.
किसी भी जातक की कुंडली में जन्म राशि से यदि 12, 1 और 2 भाव में गोचर से शनि आता है तो शनि की साढ़ेसाती आती है.
इस वर्ष के प्रारम्भ में शनि के वृश्चिक राशि में होने से 2015 में तुला राशि, वृश्चिक राशि तथा धनु राशि वाले लोग शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित रहेंगे.
शनि की साढ़े साती का मतलब होता है, साढ़े सात वर्ष तक एक राशि पर प्रभाव. इस प्रभाव को ढ़ाई-ढ़ाई साल के तीन खंडों में बांट दिया जाता है. उसी को ढैय्या कहते हैं.
अपनी ढैय्या अवधि में शनि किसी व्यक्ति के तीन अंगों को बारी-बारी से विशेष प्रभाव में लेते हैं.
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