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शिव महापुराण में काशी स्थित श्री विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा इस प्रकार बताई गई है. माता पार्वती ने एक बार परमेश्वर शिव से श्रीविश्वेश्वर धाम की महिमा सुनने की इच्छा प्रकट की.

पार्वती के पूछने पर स्वयं महादेव ने श्रीविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा बताई- यह पुरी अत्यन्त रहस्यात्मक है. यहां मेरा ध्यान करने वाले भक्त को ‘पाशुपत योग’ की प्राप्ति होती है भुक्ति और मुक्ति दोनों प्रकार का फल प्रदान करता है.

शिवमहापुराण के अनुसार, अपने कैवल्य यानी अकेले भाव में रमण करने वाले अद्वितीय परमात्मा में एक बार एक से दो बनने की इच्छा हुई. उन्होंने सगुणरूप लिया और वही रूप ‘शिव’ कहलाने लगा.

शिव ही पुरुष और स्त्री इन दोनों हिस्सों में प्रकट हुए. पुरुष भाग को शिव तथा स्त्रीभाग को ‘शक्ति’ कहा गया. सच्चिदानन्दस्वरूप शिव और शक्ति ने अदृश्य रहते हुए प्रकृति और पुरुष रूपी चेतन की उत्पत्ति की.

प्रकृति और पुरुष अस्तित्व में आए और अपने सृष्टिकर्त्ता यानी माता-पिता को खोजने लगे लेकिन उन्हें अपने सृष्टिकर्ता का कोई संकेत न दिखा तो वे संशय में पड़ गए.

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