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कई लोगों ने शनिदेव की इंद्र के साथ संघर्ष की कथा की मांग की है. दो महीने पहले प्रकाशित यह कथा हम फिर से दे रहे हैं.

नारद देवताओं के प्रभाव की चर्चा कर रहे थे. देवराज इंद्र अपने सामने दूसरों की महिमा का बखान सुनकर चिढ़ गए. वह नारद से बोले- आप मेरे सामने दूसरे देवों का बखान कर कहीं मेरा अपमान तो नहीं करना चाहते?

नारद तो नारद हैं. किसी को अगर मिर्ची लगे तो वह उसमें छौंका भी लगा दें. उन्होंने इंद्र पर कटाक्ष किया- यह आपकी भूल है. आप सम्मान चाहते हैं, तो दूसरों का सम्मान करना सीखिए. अन्यथा उपहास के पात्र बन जाएंगे.

इंद्र चिढ़ गए- मैं राजा बनाया गया हूँ तो दूसरे देवों को मेरे सामने झुकना ही पड़ेगा. मेरा प्रभाव दूसरों से अधिक है. मैं वर्षा का स्वामी हूँ. जब पानी नहीं होगा तो धरती पर अकाल पड़ जाएगा. देवता भी इसके प्रभाव से अछूते कहाँ रहेंगे.

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