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यदि आप अक्षय नवमी को कुछ दान कर रहे हैं तो इस मंत्र के साथ दान का संकल्प अवश्य लें, अन्यथा आपका दान व्यर्थ चला जाएगा.
दान के संकल्प का मंत्रः
मम् अखिलपापक्षयपूर्वक सुख सौभाग्य आदिनाम् उत्तरोत्तराभि वृद्धये कूष्माण्ड दानं करिष्ये।
इस संकल्प के साथ यथाशक्ति दान करना चाहिए. उसके बाद अक्षय नवमी की कथा सुननी चाहिए और फिर भोजन करना चाहिए.
।।अक्षय नवमी एवं आंवला नवमी की कथा।।
एक व्यापारी जो बहुत ही धर्मात्मा और दानी था वह अपनी पत्नी के साथ काशी में रहता था. उनकी कोई संतान नहीं थी. इसी कारण व्यापारी की पत्नी हमेशा दुखी सी रहती थी और उसका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था.
एक दिन उसे किसी ने कहा कि अगर वो संतान चाहती हैं तो वह किसी जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने दे. इससे उसको संतान प्राप्ति हो जाएगी. उसने यह बात अपने पति से कही लेकिन उसके धर्मात्मा पति ने इस बात के लिए उसे बहुत डांटा.
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