प्रभु शरणम् को अपना सबसे उपयोगी धार्मिक एप्प मानने के लिए लाखों लोगों का हृदय से आभार- 100 THOUSAND CLUB में शामिल हुआ प्रभु शरणम्
तकनीक से सहारे सनातन धर्म के ज्ञान के देश-विदेश के हर कोने में प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रभु शरणम् मिशन की शुरुआत की गई थी. इस मोबाइल एप्पस से देश-दुनिया के कई लाख लोग जुड़े और लाभ उठा रहे हैं. सनातन धर्म के गूढ़ रहस्य, हिंदू ग्रथों की महिमा कथाओं और उन कथाओं के पीछे के ज्ञान-विज्ञान से हर हिंदू को परिचित कराने के लिए प्रभु शरणम् मिशन कृतसंकल्प है. देव डराते नहीं. धर्म डरने की चीज नहीं हृदय से ग्रहण करने के लिए है. इस पर कभी आपको कोई डराने वाले, अफवाह फैलाने वाले, भ्रमित करने वाले कोई पोस्ट नहीं मिलेगी. तभी तो यह लाखों लोगों की पसंद है. आप इसे स्वयं परखकर देखें. नीचे लिंक है, क्लिक कर डाउनलोड करें- प्रभु शरणम्. आइए साथ-साथ चलें; प्रभु शरणम्!
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शनिदेव का क्रोध और शनिदेव द्वारा क्रोधित होने पर दिए जाने वाले दंड के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं क्योंकि ऐसा कौन है जो इससे परिचित नहीं हैं.
शनि प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा बना दें और अप्रसन्न हो जाएं तो राजाको रंक बनने में पलभर नहीं लगता. मैंने आपको पहले भी इसकी कई कथाएं सुनाई हैं. आप अगर नहीं पढ़ पाए तो अभी ही प्रभु शरणम् एप्पस डाउनलोड कर लें. लिंक ऊपर है.
शनिदेव किसे दंड देते हैं और किसके कार्य के लिए स्वयं उपस्थित हो जाते हैं यह भी मैंने बताया था. आज मैं आपको बता रहा हूं कि यदि किसी कारण शनिदेव रूष्ट भी हो गए हैं तो उन्हें मनाया कैसे जाए.
शनिदेव न्याय के देवता हैं, ग्रहों के मध्य दंडाधिकारी हैं जिन्हें स्वयं शिवजी ने उचित-अनुचित का निर्णय करके दंड निर्धारित करने और उस दंड का पालन पृथ्वीलोक पर ही सुनिश्चित कराने का अधिकार दिया है.
यह बात बिलकुल वैसी ही है जैसे हमारे देश की संसद ने अदालतों को यह अधिकार दिया है और वे स्वयं भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करती.
अदालतों में सुनवाई होती है और दोषी को दंड दिया जाता है. निर्दोष को मुअावजा भी दिया जाता है और जो दोष को स्वीकार कर पश्चातचाप से भरकर भूल सुधार के लिए तैयार रहता है उसकी सजा कम हो जाती है साथ ही साथ उसे नए सिरे से जीवन आरंभ करने के लिए कुछ भेंट भी दी जाती है.
आपने यह सब सुना होगा. बड़े से बड़े अपराधी भी जब मन से पश्चाताप करते हैं और सुधार का संकल्प दिखाते हैं उन्हें क्षमादान के साथ-साथ कुछ धन आदि भी दिया जाता है ताकि वे ईमानदारी से आगे का जीवन आरंभ कर सकें.
बिलकुल यही स्थिति शनिदेव की है. वह दंड देते हैं किंतु यदि व्यक्ति ने पश्चाताप करते भूल सुधारने का संकल्प दिखाया तो उसे नया अवसर भी प्रदान करते हैं.
आप इस बात को गाठ बांध लें क्योंकि जो बात कही है वह सिर्फ शास्त्रों में नहीं पढ़ी, आजमाई हुई है अनेकों बार.
अपने कर्मों का दंड तो हमें भोगना ही पड़ेगा, हां हमारे पश्चाचाताप से और शनिदेव के शरणागत हो जाने से कष्टों में कुछ रियायत मिल जाती है. पीड़ा कम हो जाती है.
आप ऐसे समझ लें कि अगर अपराध के लिए थर्ड डिग्री का दंड बनता था तो थर्ड दिग्री की पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी उसके बदले साधारण दंड मिल जाएगा जिसे हम आसानी से झेल जाएं.
ऐसा है, आप इस बात पर अविश्वास न करें क्योंकि जज के प्रभाव पर अविश्वास के कारण भी दंड मिलता है. आज आपको वह सरल विधि बताएंगे जिससे शनि की पीड़ा को झेल जाने में सहायता मिलती है.
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