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खोजता-खाजता वह तोते के पास पहुंचा और बोला- तुम इतने सुंदर हो. आवाज भी मीठी है. तुम्हारे सौंदर्य से तो सभी को ईर्ष्या होती होगी. तुम्हें तो बड़ी बहुत खुशी मिलती होगी?
तोता गंभीर हो गया. फिर बोला- मित्र अपने रंग-रूप से खुश तो मैं बहुत था लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है वह खुशी गायब हो गई. मोर के आगे तो मेरी सुंदरता कुछ भी नहीं.
ईश्वर ने बड़े प्रेम से और बड़ी फुर्सत से मोर की कल्पना की होगी. उसमें रंग भरे होंगे. काश प्रभु ने मुझे केवल दो रंग देने की बजाय कुछ रंग और दे दिए होते तो मैं भी सुंदर होता.
कौए को तो बड़ी हैरानी हुई. जो बगुला तोते के रंग-रूप के श्रेष्ठ मानता था, वह तोता मोर से दुखी है. कौए को लगा चक्कर क्या है. अब तो मोर को भी देखना पड़ेगा.
उसने मोर का पता लिया और ढूंढ़ने निकला. सारा जंगल छान मारा लेकिन मोर कहीं नहीं दिखा. वहां एक मैना ने बताया कि जंगल के सारे मोरों को चिडि़याघर वालों ने पकड़ लिया है.
कौआ चिडि़याघर गया. वहां मोर एक पिंजरे में बंद था. कौए ने उसके पंख देखे तो तोते की बात याद आई. वाकई भगवान ने उसे सुंदर बनाया है. रंग-बिरंगे पंख और राजा की तरह कलगी.
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