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विभीषण लगातार सतर्क थे. उन्हें कुछ देर में ही पता चल गया कि कोई अनहोनी घट चुकी है.
विभीषण को महिरावण पर शक था, उन्हें राम-लक्ष्मण की जान की चिंता सताने लगी.
विभीषण ने हनुमानजी को महिरावण के बारे में बताते हुए कहा कि वे उसका पीछा करें. लंका में अपने रूप में घूमना रामभक्त हनुमान के लिए ठीक न था सो उन्होंने पक्षी का रूप धारण कर लिया और पक्षी का रूप में ही निकुंभला नगर पहुंच गये.
निकुंभला नगरी में पक्षीरूप धरे हनुमान जी ने कबूतर और कबूतरी को आपस में बतियाते सुना.
कबूतर, कबूतरी से कह रहा था कि अब रावण की जीत पक्की है. अहिरावण व महिरावण राम-लक्ष्मण को बलि चढा देंगे. हनुमानजी ने श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा कैसे की यह प्रसंग बहुत लंबा है.
शेष भाग इसे कल प्रकाशित करेंगे. आप प्रभु शरणम् का मोबाइल एप्प डाउनलोड कर लें, वहां आपको पूरी कथा मिल जाएगी. इसे डाउनलोड करना बहुत सरल है. नीचे में इसका लिंक है.
संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश