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महाराज अज ने कहा कि ये चावल के दाने मैंने अभिमंत्रित करके फ़ेके हैं क्योकि यहां से दस कोस दूर जंगल में एक गाय को शेर खाने वाला था. तो एक दाने से शेर को मारा और एक से गाय की रक्षा की.
रावण ने कहा- यह कैसे हो सकता है. मुझे विश्वास नहीं कि यहां बैठकर आपने शेर को चावल के दाने से मारकर गौ की रक्षा की है. तो अज ने कहा आप स्वयं जाकर देख लें और तसल्ली कर लें.
अज ने स्थान बता दिया. रावण बताये हुये स्थान पर पहुंचा तो सच में वहां शेर मरा हुआ पड़ा था और गाय घास खा रही थी.
रावण ने अज की यह चमत्कारिक शक्ति देखी तो वह बुरी तरह डर गया और पुन: कभी अज के पास ही नही गया.
रावण ने विधि का विधान बदलने की कई बार कोशिशें की थीं. ऐसा विभिन्न स्थानों पर आया है.
ये क्षेपक कथाएं हैं जो लोकप्रिय होती हैं. बेशक ये कथाएं मुख्य ग्रंथों में नहीं होतीं इसलिए इन्हें प्रामाणिक नहीं कहा जा सकता पर इनकी रचना मुख्य कथाओं के समानांतर होती हैं जिनका उद्देश्य कथाओं को स्थापित करने में होता है.
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संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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सर्वनाश का द्वार-“जरा सा पाप ही तो है, इतना क्या सोचना?”
Bahut achha lagata hai jab aisi katha sunane ko milati hai man sidha prabhu ke charano mai pahunch jata hai jai shree
ram