December 7, 2025

श्रीहरि के सेवकों को मिला शाप, दैत्य बने और स्वयं हरि करें तेरा नाशः भागवत कथा में दिति के गर्भ से असुरों की उत्पत्ति की कथा

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भागवत की कथा में इंद्र के प्रसंग के बाद, इंद्र के सौतेले भाइयों दैत्यों की उत्पत्ति का प्रसंग चल रहा है. कल की कथा में हमने पढ़ा कि किस पाप के कारण दिति के गर्भ में दैत्य आए. अब आगे…

दिति को पता था कि उनके गर्भ में स्थित शिशु नारायण के द्रोही होंगें और उनके अत्याचारों से समस्त संसार पीड़ित होकर त्राहि-त्राहि करेगा.

इसलिए दिति ने अपनी शक्तियों से गर्भ को 100 वर्षों तक बांधकर रखा. वह संतानों को उत्पन्न होने ही नहीं दे रही थीं. उनके गर्भ में पल रही आसुरी शक्तियों से संसार पीड़ित होने लगा.

सब ओर भयावह अंधेरा छा गया. देवता ब्रह्माजी के पास गए और संकट का कारण पूछा. ब्रह्मा ने बताया कि दिति के गर्भ में जुडवां बालक के रूप में नारायण के प्रमुख सेवक जय और विजय हैं. उनके कारण ही यह सब हो रहा है.

देवताओं को पता था कि दिति के गर्भ से पैदा होने वाली संतानें सबको त्रस्त करने वाली असुर होंगी. इसलिए उन्होंने ब्रह्मा से पूछा कि नारायण के सेवकों के भयंकर असुर होने का क्या कारण है?

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