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पिछली कथा से आगे…

भगवान देवताओं को दिया वचन निभाने को कृतसंकल्प थे. इसके लिए भगवान विष्णु ने मछली का रूप धरा. उन्हें पृथ्वी की रक्षा में सहयोग का भार डालने योग्य समर्थवान और दयालु पुरूष की आवश्यकता थी. इसके लिए उन्होंने कश्यप को चुना परंतु कश्यप की परीक्षा भी तो आवश्यक थी.

श्रीविष्णु मछली के रूप में नदी स्नान करते कश्यप की अंजली में समा गए. मछली पर दया करके कश्यप ने उसे अपने कमंडल में रख लिया. मछली का आकार बढ़ने लगा. तो उसे एक कुंए में रखा. कुंआ छोटा पड़ा तो तालाब बनवाया.
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