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संसार के सबसे पुराने शहरों में से हैं वाराणसी. यहां के दुर्गाकुंड में स्थित मां पराम्बा हजारों साल से इस शहर की रक्षा करती आ रही हैं. ऐसा क्यों? इस रहस्य से पर्दा देवी भागवत पुराण की इस कथा से उठता है.
भगवान राम के कुळ में ही आगे चलकर एक राजा हुए ध्रुवसंधि. ध्रुवसंधि की दो रानियां थीं. बड़ी रानी कलिंगराज वीरसेन की बेटी मनोरमा थीं. छोटी उज्जैन नरेश की पुत्री लीलावती.
राजा के दोनों रानियों से एक-एक बेटे थे. बड़ी से सुदर्शन और छोटी से हुए पुत्र का नाम था शत्रुजित. राजा दोनों को बराबर प्रेम करते थे. ध्रुवसंधि शिकार को गए. शेर से सामना हो गया. शेर तो मरा ही ध्रुवसंधि भी स्वर्ग मारे गए.
बड़े बेटे सुदर्शन को अयोध्या की राजगद्दी दी गयी. यह बात शत्रुजित के नाना युद्धजित को हजम नहीं हुई. वह सेना के साथ अयोध्या पर चढ बैठा. सुदर्शन के समर्थन में अयोध्या की सेना, प्रजा और उनके नाना वीरसेन थे.
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