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गणपति के अंगों की पूजा इस प्रकार करें.
हर मंत्र के साथ उनके उस अंग को धूप,दीप, आरती दिखाएं.
ऊं गणेश्वराय नमः पादौ पूज्यामि। (पैर पूजन)
ऊं विघ्नराजाय नमः जानूनि पूज्यामि। (घुटने पूजन)
ऊं आखूवाहनाय नमः ऊरू पूज्यामि। (जंघा पूजन)
ऊं हेराम्बाय नमः कटि पूज्यामि। (कमर पूजन)
ऊं कामरीसूनवे नमः नाभिं पूज्यामि। (नाभि पूजन)
ऊं लंबोदराय नमः उदरं पूज्यामि। (पेट पूजन)
ऊं गौरीसुताय नमः स्तनौ पूज्यामि। (स्तन पूजन)
ऊं गणनाथाय नमः हृदयं पूज्यामि। (हृदय पूजन)
ऊं स्थूलकंठाय नमः कठं पूज्यामि। (कंठ पूजन)
ऊं पाशहस्ताय नमः स्कन्धौ पूज्यामि। (कंधा पूजन)
ऊं गजवक्त्राय नमः हस्तान् पूज्यामि। (हाथ पूजन)
ऊं स्कंदाग्रजाय नमः वक्त्रं पूज्यामि। (गर्दन पूजन)
ऊं विघ्नराजाय नमः ललाटं पूज्यामि। (ललाट पूजन)
ऊ सर्वेश्वराय नमः शिरः पूज्यामि। (शीश पूजन)
ऊं गणाधिपत्यै नमः सर्वांगे पूज्यामि। (सभी अंगों को धूप-दीप दिखा लें)
इसके अतिरिक्त गणेशजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य कुछ छोटी-छोटी बातें हैं जिनका ध्यान अवश्य रखना चाहिए-
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