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श्रीगणेशजी की प्रतिमा स्थापना कैसे करेंः
चतुर्थी के दिन प्रात:काल घर की सफाई करने के बाद स्नानादि कार्यों को पूरा कर लेना चाहिए.
गणेशजी की प्रतिमा की स्थापना के लिए घर के उत्तर दिशा की ओर एक लकड़ी के पीढ़े पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं.
नए कलश में जल भरने के बाद उसका मुंह कोरे कपड़े से ढंक दें.
अब मिट्टी से बनी गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करें.
गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करके सिन्दूर चढ़ाते हुए निम्न तरीके से गणेश जी की पूजा करनी चाहिए:
1.सबसे पहले गणेश प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाना चाहिए.
2.शुद्धिकरण के लिए प्रतिमा तथा स्थापना स्थल पर शुद्ध जल छिड़कते हुए गणेश जी के लिए फूलों का आसन सजाना चाहिए.
3.इसके उपरांत गणपति जी का ध्यान करते हुए निष्ठा भाव से पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए.
4.गणेश जी की पूजा में दूर्वा का विशेष महत्त्व होता है, इसलिए दूर्वा से जल छिड़ककर मूर्ति को स्नान करवाना चाहिए.
5.गणेश प्रतिमा पर नए वस्त्र एवं उपवस्त्र चढ़ाने चाहिए.
6.सिन्दूर, फूल, दूर्वा चढ़ाते हुए सुगंधित धूप और दीप से गणेशजी के प्रत्येक अंग की पूजा करनी चाहिए. अक्सर लोग यही भूल करते हैं, वे गणपति के अंगों की पूजा नहीं करते जो गलत है. उनके विभिन्न अंगों की पूजा के सरलतम मंत्र नीचे बताए गए हैं. उसे देखें.
7.गणेश जी की आरती उतारते हुए उन्हें विभिन्न प्रकार के फूल अर्पित करना चाहिए.
8.इसके बाद श्रीफल या नारियल चढ़ा सकते हैं. गणेशजी को 21 लड्डुओं का भोग जरूर लगाना चाहिए. इसमें से पांच लड्डू मूर्ति के पास छोड़कर बाकि भक्तों में प्रसाद के रूप में बांट देना चाहिए.
9.अंत में सभी गलतियों की छमा याचना करते हुए भगवान को प्रणाम करना चाहिए.
10.पूजा के दौरान “गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए.
गणेशजी के प्रत्येक अंग की पूजा करनी चाहिए. प्रायः लोग यह भूल करते हैं. वे गणेशजी के अंगों की पूजा नहीं करते. आइए जानें किस प्रकार होनी चाहिए गणेशजी के अंगों की विधिवत पूजा.
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