December 7, 2025

शुक्रवार से शुरू हुआ पंचक, श्राद्धपूर्व इस पंचक में अनिष्ट टालने के लिए बरतें ये सावधानियां

shani-2
पौराणिक कथाएँ, व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र, गीता ज्ञान-अमृत, श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ने के हमारा लोकप्रिय ऐप्प “प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प” डाउनलोड करें.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
[sc:fb]

ज्योतिषशास्त्र में शुभ-अशुभ मुहूर्तों का विचार बहुत गंभीरता से और विस्तृत रूप किया गया है. ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों में शुभ कार्य करने वर्जित बताए गए हैं. माना जाता है कि उन नक्षत्रों में किए गए कार्यों के परिणाम प्रतिकूल होते हैं.

धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती नक्षत्रों को कई शुभ कार्यों के लिए उचित नहीं माना जाता और उन नक्षत्रों में शुभकार्य करने से बचने को कहा जाता है. धनिष्ठा नक्षत्र से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंत तक समय को ज्योतिष में पंचक कहा जाता है. पंचक में शुभ कार्य वर्जित हैं.

25 सितंबर यानी शुक्रवार की दोपहर से पंचक शुरू हुआ है जो 29 सितंबर, मंगलवार को शाम छह बजे तक रहेगा. यह पंचक श्राद्ध पूर्व का है इसलिए इसका विचार ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. विभिन्न दिनों में आरंभ होने वाले पंचक को कई ज्योतिषशास्त्री अलग-अलग नाम देते हैं.

विद्वानों के अनुसार पंचक के पांच प्रकार बताए गए हैं. रोग पंचक, राज पंचक, अग्नि पंचक, चोर पंचक और मृत्यु पंचक. इनका विचार पंचक आरंभ होने वाले दिन के आधार पर होता है. आइए विस्तार से जानते हैं इन पंचकों के बारे में.

रोग पंचक

यदि पंचक रविवार को शुरू होता है तो इसे रोगदायी बताया जाता है. इस कारण इसे कुछ विद्वान रोग पंचक भी कहते हैं. इसके प्रभाव से पंचक पांच दिनों में शारीरिक और मानसिक परेशानियों का विशेष रूप से सामना करना पड़ता है. मांगलिक कार्यों के लिए यह पंचक अशुभ माना गया है.

राज पंचक

यदि पंचक सोमवार को शुरू होता है तो उस पंचक को राज पंचक कहा जाता है. आमतौर पर शुभ प्रभावों से दूर कहा जाने वाला पंचक यदि सोमवार को आरंभ होता है तो इसे शुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से पंचक पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता की संभावना बढ़ती है. राज पंचक में प्रॉपर्टी कारोबार लाभदायक बताया जाता है.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

Share: