Shiva and Vishnu

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एक बार भगवान नारायण अपने वैकुंठलोक में सोये हुए थे. स्वप्न में वो क्या देखते है कि करोड़ो चन्द्रमाओं की कान्तिवाले, त्रिशूल-डमरूधारी, त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आनंदातिरेक से उन्मत होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं.

उन्हें देखकर भगवान विष्णु हर्ष-गदगद से सहसा शैय्या पर उठकर बैठ गये और कुछ देर तक ध्यानस्थ बैठे रहे. उन्हें इस प्रकार बैठे देख श्रीलक्ष्मी जी उनसे पूछने लगीं कि “भगवान! आपके इस प्रकार उठ बैठने का क्या कारण है?”

भगवान ने कुछ देर तक उनके इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया और आनंद में खोए हुए चुपचाप बैठे रहे. फिर गदगद-कंठ से बताने लगे- “हे देवि! मैंने अभी स्वप्न में भगवान श्री महेश्वर का दर्शन किया है.

उनकी छवि ऐसी अपूर्व आनंदमय एवं मनोहर थी कि देखते ही बनती थी. मालूम होता है, भगवान शंकर ने मुझे स्मरण किया है. अहोभाग्य! चलो, कैलाश चलकर हम लोग महादेव के दर्शन करते हैं.

लक्ष्मीजी भी सुनकर प्रसन्न हुईं और दोनों कैलाश की ओर चल दिए. श्रीहरि और महालक्ष्मी ने मुश्किल से आधी दूरी ही तय की होगी कि उन्हें महादेव, पार्वतीजी के साथ उनकी ओर ही आते दिख गए.

अब भगवान के आनंद का क्या ठिकाना? मानो घर बैठे निधि मिल गई. पास आते ही दोनों परस्पर बड़े प्रेम से मिले. मानो प्रेम और आनंद का समुद्र उमड़ पड़ा.

एक दूसरे को देखकर दोनों के नेत्रों से आन्नद के अश्रु बहने लगे. दोनों के शरीर पुलकित हो गए. दोनों ही एक दूसरे को गले लगाए कुछ देर जड़वत खड़े रहे.

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4 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
      आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA

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