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सबको पीड़ा नहीं देते शनिः
हर व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़े साती का सामन्यतः तीन बार आगमन होता है. शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख प्रदाता ही हैं ऐसा नहीं कहा जा सकता. शनि संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं.
सूर्य पुत्र शनि अपने पिता सूर्य से अत्यधिक दूरी के कारण प्रकाशहीन हैं इसलिए इन्हें अंधकारमय, विद्याहीन, भावहीन, उत्साह हीन, नीच, निर्दयी, अभावग्रस्त माना जाता है.
पर शनि ग्रहों के बीच दंडाधिकारी हैं. मजिस्ट्रेट तो बिना किसी लाग-लपेट के ही फैसले देगा. विशेष परिस्थितियों में शनि अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय का प्रतीक हैं. इसके अलावा शनि ही सुख-संपत्ति, वैभव और मोक्ष भी देते हैं.
इसलिए जब आप शनि के प्रभाव में हों तो आप बुरी आदतों का त्याग कर दें. सोभ, छल, धोखा, बेईमानी से एकदम दूरी बना लें अन्यथा शनि बहुत पीडित करते हैं. यथासंभव आध्यात्म का मार्ग लें. बेइमानी से बचें. जिस शनि से आप डर रहे हैं वह आपके लिए लाभ के राह खोल देंगे.
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