[sc:fb]
जो ज्ञान मुक्ति न दे वह ज्ञान नहीं. ज्ञान की परिभाषा यही है, जो मुक्त करे. इस एक बात को जितनी गहराई से संभालकर रख लें उतना ही हितकर होगा.
सत्य आपको स्वयं पाना होगा. कोई जगत में सत्य दे नहीं सकता और जब तक यह भरोसा किए बैठे हैं कि कोई आकर सत्य दे देगा, तब तक आप भटकेंगे. तब तक सावधान रहना, कहीं मनोहर धोबी के गधे न बन जाएं!
तब तक त्रिवेणी पर आते रहेंगे और आकर मौके भी गंवाते रहेंगे. संगम पर पहुंच जाओगे पर समाधि नहीं बनेगी. अंतिम ठौर परमात्मा का है. यह बात भली-भांति जानते हुए भी बार-बार उस घर के करीब आ तो जाएंगे पर हर बार भटक जाएंगे.
-राजन प्रकाश, प्रभु शरणम् में…
प्रभु शरणम् की सारी कहानियां Android व iOS मोबाइल एप्प पे पब्लिश होती है। इनस्टॉल करने के लिए लिंक को क्लिक करें:
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
हम ऐसी कथाएँ देते रहते हैं. फेसबुक पेज लाइक करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा. https://www.facebook.com/PrabhuSharanam कथा पसंद आने पर हमारे फेसबुक पोस्ट से यह कथा जरुर शेयर करें.
धार्मिक चर्चा में भाग लेने के लिए हमारा फेसबुक ग्रुप ज्वाइन करें. https://www.facebook.com/groups/prabhusharnam
ये भी पढ़ें-
किसी को डराने वाले मैसेज भेजे या आपको ऐसा मैसेज मिला है? तो जरूर पढ़ें
आपका आत्मविश्वास किसी कारण हिला है तो इसे पढ़ें, संभव है आत्मविश्वास से भर जाएं आप.
“जरा सा पाप ही तो है, इतना क्या सोचना?”
आप मांसाहार करते हों या न करते हों, इस कथा को एकबार पढ़ें जरूर
भगवान मैं शर्मिंदा हूं, जो प्राप्त है, पर्याप्त है. मुझे और कुछ नहीं मांगना