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पैसा सिर चढ़कर बोलता है यह आपने लोगों को कहते सुना होगा. जब माया जीव के मस्तिष्क पर अपना प्रभुत्व जमा लेती हैं तो उसका विनाश निश्चित हो जाता है.

मस्तिष्क पर उनका ऐसा कब्जा होता है कि फिर इंसान मतिभ्रमित होकर वह सारे कर्म कर लेता है जो उसे नाश की ओर ले जाते हैं. तभी तो लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की पूजा होती है.

गणेशजी बुद्धि के देवता हैं. धन आने पर बुद्धि का लोप होने की आशंका रहती है इसलिए बुद्धि को साधने के लिए गणेशजी की भी पूजा हो जाती है.

एक कथा सुनाता हूं कि आखिर क्यों कहा जाता है कि लक्ष्मी सिर पर सवार हों तो बुद्धि भ्रष्ट करके विनाश की ओर ले जाती हैं. इसकी एक पौराणिक कथा है.

एक बार असुरराज जम्भासुर ने देवताओं से भयंकर युद्ध छेड़ दिया. असुरों ने देवों को हराकर इन्द्रलोक पर कब्जा कर लिया.

देवगुरु बृहस्पति की सलाह पर देवता भगवान दत्तात्रेय के पास पहुंचे. अपनी विपत्ति सुनाकर उन्होंने मदद मांगी.

भगवान दत्तात्रेय ने इंद्र से कहा कि वह इसकी एक राह सुझाएंगे. थोड़ी कठिन तो है मगर उससे संकटों का निवारण हो सकता है.

इंद्र बोले- भगवन् इस संकट से रक्षा के लिए मैं कोई भी कार्य करने को प्रस्तुत हूं. आप आदेश करें.

दत्तात्रेयजी ने कहा- इंद्र आप इतना करें कि असुरों को युद्ध के लिए ललकारें और उन्हे बहलाकर किसी तरह मेरे आश्रम तक लेकर आइए.

इंद्र ने ऐसा ही किया. अपनी देवसेना लेकर असुरों के पास पहुंचे. युद्ध के लिए असुरों को ललकारा और फिर तुरंत ही युद्धभूमि छोडकर भागने लगे.

इससे असुरों को बड़ा हर्ष हुआ.

देवता उनके भय से भाग रहे हैं, इस प्रमाद में डूबे असुर उनका पीछा करने लगे. वे दत्तात्रेयजी के आश्रम तक आ गए. वहां देवी लक्ष्मी अपूर्व सुंदरी नारी स्वरूप में मौजूद थीं.

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