प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर 9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से save कर लें। फिर SEND लिखकर हमें उस नंबर पर whatsapp कर दें।
जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना whatsapp से मिलने लगेगी।
श्रीराम-रावण का संग्राम आरंभ हो चुका था. श्रीराम सेना के आगे रावण की त्रिकालजयी असुर सेना टिक नहीं पा रही थी.
रावण इससे आश्चर्य में था कि जिस सेना के आगे इंद्र की देवताओं की सेना नहीं टिकती उसके सामने वानर-भालू कैसे डटे हैं. रावण ने अपने नाना सुमाली से इस विषय में विचार किया.
सुमाली ने बताया- सीता कोई सामान्य स्त्री नहीं. रामसेना को सीता के सतीत्व और विश्वास की अतिरिक्त योग शक्ति मिल रही है जिससे तुम पराजित होते हो.
रावण ने सीताजी का अटल विश्वास और सतीत्व तोड़ने की एक चाल चली. उसने मायावी विद्युजिह्व को बुलाकर माया से दो ऐसे सिर बनाने को कहा जो श्रीराम और लक्ष्मण ने हूबहू मिलते हों.
विद्युतजिह्व ने चतुराई से दो ऐसे सिर बनाए जो राम और लक्ष्मण के लगते थे. दोनों खून से लथपथ थे. ऐसा प्रतीत होता था उन्हें अभी-अभी काटकर लाया गया है.
उन दोनों मस्तकों को बाण की नोक पर रखकर रावण सीताजी के पास अशोक वाटिका में पहुंचा.
उसने सीताजी से कहा- तूने राम की शक्ति पर अगाध विश्वास करके मेरा कहना नहीं माना. देखो, राम-लक्ष्मण दोनों मारे गए. इन सिरों को देखकर अपने अभिमान पर आंसू बहाओ.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.