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यह सुनकर पुजारी कांप गए. उन्होंने सोचा अगर राजा ने माला मेरे गले में देख ली तो मुझ पर क्रोधित होंगे. इस भय से उन्होंने अपने गले से माला उतारकर बिहारीजी को फिर से पहना दी.

जैसे ही राजा दर्शन को आया तो पुजारी ने नियम अुसार फिर से वह माला उतार कर राजा के गले में पहना दी. माला पहना रहे थे तभी राजा को माला में एक सफ़ेद बाल दिखा.

राजा को सारा माजरा समझ गया कि पुजारी ने माला स्वयं पहन ली थी और फिर निकालकर वापस डाल दी होगी.

पुजारी ऐसा छल करता है, यह सोचकर राजा को बहुत गुस्सा आया.

उसने पुजारी जी से पूछा- पुजारीजी यह सफ़ेद बाल किसका है?

पुजारी को लगा कि अगर सच बोलता हूं तो राजा दंड दे देंगे इसलिए जान छुड़ाने के लिए पुजारी ने कहा-महाराज यह सफ़ेद बाल तो बिहारीजी का है.

अब तो राजा गुस्से से आग-बबूला हो गया कि ये पुजारी झूठ पर झूठ बोले जा रहा है. भला बिहारीजी के बाल भी कहीं सफ़ेद होते हैं.

राजा ने कहा- पुजारी अगर यह सफेद बाल बिहारीजी का है तो सुबह शृंगार के समय मैं आउंगा और देखूंगा कि बिहारीजी के बाल सफ़ेद है या काले. अगर बिहारीजी के बाल काले निकले तो आपको फांसी हो जाएगी.

राजा हुक्म सुनाकर चला गया.

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