हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:mbo]
पार्वतीजी कौतूहल से उपजी जिज्ञासा को रोक न पाई. उन्होंने पूछा- देवी लक्ष्मी ने आखिर विल्ववृक्ष का रूप क्यों लिया? आप यह कथा विस्तार से कहें.
भोलेनाथ ने देवी पार्वती को कथा सुनानी शुरू की. हे देवी, सत्ययुग में ज्योतिरूप में मेरे अंश का रामेश्वर लिंग था. ब्रह्मा आदि देवों ने उसका विधिवत पूजन-अर्चन किया था.
इसका परिणाम यह हुआ कि मेरे अनुग्रह से वाणी देवी सबकी प्रिया हो गईं. वह भगवान विष्णु को सतत प्रिय हो गईं.
मेरे प्रभाव से भगवान केशव के मन में वाग्देवी के लिए जितनी प्रीति उपजी हुई वह स्वयं लक्ष्मी को नहीं भाई.
लक्ष्मी देवी का श्रीहरि के प्रति मन में कुछ दुराव पैदा हो गया. वह चिंतित और रूष्ट होकर चुपचाप परम उत्तम श्रीशैल पर्वत पर चली गईं.
वहां उन्होंने तप करने का निर्णय किया और उत्तम स्थान का चयन करने लगीं.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
I like prabhu sharnam aap
कृपया अपडेट कर लें. नया वर्जन पहले से ज्यादा उपयोगी है