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जब कुछ समझ न आया तो सहायता और मार्गदर्शन के लिए ब्रह्मदेव ने श्रीविष्णुजी का ध्यान किया. वह नारायण मंत्र ‘ऊं नमो नारायणाय’ का जप करने लगे. ब्रह्माजी के आह्वान पर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिया और इस कठिन तप का कारण पूछा.

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