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लंका विजयकर भगवान श्रीराम वानर सेना समेत अयोध्या पहुंचे तो वहां इस ख़ुशी में एक बड़े भोज का आयोजन हुआ. सारी वानर सेना आमंत्रित थी.
सुग्रीवजी ने वानरों को समझाया- यहाँ हम मेहमान हैं. मनुष्य हमें वैसे भी शुभ नहीं मानते. सबको यहाँ बहुत शिष्टता दिखानी है ताकि वानरों को लोग अभद्र न कहें.
वानरों ने अपनी जाति का मान रखने के लिए सतर्क रहने का वचन दिया. एक वानर ने सुझाव दिया- वैसे तो हम शिष्टाचार का पूरा प्रयास करेंगे किन्तु हमसे कोई चूक न होने पावे इसके लिए हमें मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी.
आप किसी को हमारा अगुवा बना दें जो हमें मार्गदर्शन देता रहे. हम पर नजर रखे और यदि वानर आपस में लड़ने-भिड़ने लगें तो उन्हें रोक सके.
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Very nice
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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