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कुछ दिनों बाद शिव शर्मा ने अपने चौथे बेटे से कहा, बेटे विष्णु मैं कुछ दिनों से बीमार सा महसूस कर रहा हूं, सब देख लिया, अमृत के बिना मुझे आराम न आयेगा. तुम किसी तरह स्वर्ग से अमृत ले आओ.

काम कठिन था, विष्णु शर्मा ने योग बल की सहायता ली और स्वर्ग पहुंचे. देवता भला आसानी से अमृत क्यों देने लगे? उन्होंने मेनका को विष्णुशर्मा को रूप जाल में फंसाकर भटकाने को भेजा. मेनका ने कई कोशिशें की पर वह नहीं फंसा.

इंद्र ने इसके बाद कई दूसरी चालें चली. बहुत सारी विघ्न बाधाएं उपस्थित कीं. इस परीक्षा को विष्णु शर्मा ने कैसे पास किया. सबसे कठिन परीक्षा ब्राह्मण ने छोटे बेटे सोमशर्मा की ली. उस परीक्षा को पासकर सोमशर्मा अगले जन्म में भक्त प्रहलाद बना. यह प्रसंग कुछ ही देर में सुनाएंगे.(स्रोत: पद्म पुराण)

अगली कथा पढ़ें- सोमशर्मा ने दी ऐसी कौन सी पितृभक्ति की कठोर परीक्षा जो अगले जन्म में मिला भक्त प्रह्लाद होने का सौभाग्य

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