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उसका नाम बलखानि (मलखान) रखा जाएगा. वह शिरीष नगर का राजा होगा. भीम वीरण के नाम से बनारस पर राज करेगा. अर्जुन के अंश से जो जन्म लेगा, उसका नाम होगा ब्रह्मानंद होगा. वह महान बुद्धिमान और मेरा भक्त होगा.
महाबलशाली नकुल का जन्म कान्यकुब्ज में रत्नभानु के पुत्र के रूप में होगा और नाम होगा लक्षण. सहदेव भीमसिंह का पुत्र देवसिंह होगा. धृतराष्ट्र के अंश से अजमेर में पृथ्वी राज जन्म लेगा.
द्रोपदी पृथ्वीराज की कन्या के रूप में वेला नाम से प्रसिद्ध होगी. महादानी कर्ण तारक नाम से जन्मेगा. यह सब बातें सुनकर भगवान श्रीकृष्ण मुस्कराए.
श्रीकृष्ण ने कहा- मैं भी अवतार लेकर पांडवों की सहायता करूँगा. माया देवी द्वारा निर्मित महावती नाम की नगरी में देशराज के पुत्र-रूप में मेरा अंश उत्पन्न होगा.
मेरे इस कृष्णांश को जगत उदयसिंह (ऊदल) के नाम से जानेगा. उसे जो जन्म देंगी वह भी देवकी की ही अंश होंगी. मेरे वैकुण्ठ धाम का अंश आह्राद नाम से जन्म लेगा.
आह्लाद ही इस जन्म में मेरा गुरु होगा. अग्निवंश में उत्पन्न राजाओं का विनाश कर मैं धर्म की स्थापना करूँगा. श्रीकृष्ण की यह बात सुनकर शिवजी अंतर्धान हो गए. (संदर्भ: भविष्य पुराण के प्रतिसर्ग पर्व का तीसरा खंड के पहले अध्याय से व अन्य)
संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश
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