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खुशी के गीत गानेवाली कल्याणी बांसुरी की जगह सिक्कों की खनक सुनना चाहती है. दोनों पेटभर भोजन नहीं करते. बहन तुम किस खुशी और किस भविष्य के लिए काम कर रही हो. कल्याणी को पड़ोसन की बात समझ में आ रही थी.
पड़ोसन ने समझाया निन्यानवे का चक्कर छोड़ो. इस चक्कर में फंसकर तुमने ईश्वर के कई आशीर्वाद ठुकरा दिए. रोज भरपेट भोजन मिलना ईश्वर का बड़ा आशीर्वाद है, तुमने उसे ठुकराया. घर की सुख-शांति उससे भी बड़ा उपहार है- उसे भी गंवा दिया.
पति-पत्नी के बीच प्रेम और ईश्वर की भक्ति में दिन बीतना गृहस्थ जीवन का सबसे बड़ा सुख है. तुम लोग इससे भी वंचित हो गए. अब खुद निर्णय करो कि तुम दोनों हाड़-तोड़ मेहनत से पा रहे हो या गंवा रहे हो. इसे ही तो कहते हैं निन्यान्वे का फेर.
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Very nice and heart touching literature.
आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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