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आपने हनुमान कथा के दो खंडों में अब तक शिवजी के अंश के श्रीराम कार्य के लिए स्वर्ग की अभिशप्त अप्सरा के शरीर से हनुमान रूप में जन्म लेने और हनुमानजी के राहु से युद्ध और इंद्र के प्रहार से मूर्च्छा की कथा पढ़ी.

पवनदेव द्वारा वायु संचार रोकने से देवताओं की विवशता और ब्रह्मा द्वारा हनुमान अवतार का प्रयोजन बताने की कथा पढ़ी. अब पढ़ें हनुमानजी कैसे बने अतुलित बलशाली.

ब्रह्मदेव द्वारा हनुमान अवतार का प्रयोजन बताने के बाद सभी देवों ने हनुमानजी की शक्तियां बढ़ाने के लिए उन्हें वरदान दिया.

इंद्र ने कहा- मेरे वज्र से इनका हनु टूटा है. इसलिए इन्हें हनुमान कहा जाएगा. हनुमानजी पर मेरे वज्र का कभी असर नहीं होगा. कुबेर ने हनुमानजी को गदा और यक्षों की मित्रता दी.

सूर्यदेव ने अपने तेज का सौंवा हिस्सा हनुमानजी को दिया. सूर्यदेव ने रूप-आकार बदलने का आशीर्वाद दिया और गुरू बनकर हनुमानजी को संपूर्ण शास्त्रों का ज्ञान देना भी स्वीकार किया.

वरुणदेव ने आशीर्वाद दिया कि हनुमानजी वरूणपाश और जल के भय से मुक्त रहेंगे. विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि हनुमानजी पर उन दिव्यास्त्रों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जिनका निर्माण मैंने किया है.

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