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बहुत तप करने के बाद भी भगवान शिव प्रकट नहीं हुए तो शक्तिशाली रावण ने अपने हाथों से कैलाश को जोर-जोर से हिलाना शुरू किया. रावण के ऐसा करते ही सातों लोक हिलने लगे. पृथ्वी असंतुलित होने लगी.
पार्वतीजी ने शिवजी से कैलाश के हिलने का कारण पूछा तो शिवजी ने बताया कि “मेरे प्रिय भक्त रावण के प्रभाव से यह हो रहा है. घबराने की जरूरत नहीं.”
पार्वतीजी ने बताया कि आप इसे इतनी सहजता से न लें. सारे देवताओं में खलबली मची हुई है. वे अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पा रहे. इसलिए आप किसी भी हाल में कैलाश को यहां से न जाने दें. रावण ने कैलाश को उठा लिया था.
पार्वतीजी के ऐसा कहने पर शिवजी ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को दबाया और रावण का हाथ कैलाश के नीचे दब गया. रावण इस पीड़ा को सहन नहीं कर पा रहा था. उसने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत्र गाना शुरू कर दिया.
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