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महादेव ने उसकी पुकार सुन ली. एक नामी शिवयोगी ऋषभ वहां प्रकट हो गये और सुमति से बोले, बेटी तुम इतना विलाप क्यों कर रही हो. काल से कौन बचा है, यह शरीर तो एक बुलबुला है जो फिर महासमुद्र के पानी में मिल गया. अपना जीवन देखो.
सुमति बोली- भगवन्! जिसका एकलौता बेटा मर गया हो, जिसका कोई घरबार,रिश्तेदार न हो, जो न ठीक होने वाले रोग से पीडित हो उस अभागिन के लिये मौत से बेहतर क्या है? इसलिये मैं बेटे के साथ ही मरना चाहती हूँ!
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