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महात्माजी बोले- जब इस दुनिया के नक्शे में तुम्हारी कोठी, बगीचे, फैक्ट्री का कोई पता नहीं तो यह ब्रह्माण्ड जो भगवान की लीला ऐश्वर्य का एक खेल मात्र है, उनकी दृष्टि में तुम्हारे ऐश्वर्य का कोई स्थान होगा क्या?

सेठजी को बात समझ में गई और उनका अभिमान नष्ट हुआ. वह महात्माजी के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगा. थोड़ी सी समृद्धि ऐश्वर्य पाकर मनुष्य इतना अभिमानी और अहंकारी बन जाता है.

मनुष्य इसी अज्ञान में डूबा है. सांसारिक ऐश्वर्य ही उसे संपूर्ण लगते हैं. वह ये भूल जाता है कि उसे अनंत योनियों में जन्म लेना है. इस जन्म में वह अमीर है, साधन संपन्न है तो हो सकता है अगले जन्म में वह अत्यंत दरिद्र हो जाए.

यह सब तो कर्मों के फल होते हैं. अगर अच्छे कर्म रहे तो ईश्वर का सान्निध्य मिलेगा, उनकी कृपा रही तो इस लोक के प्रत्येक जन्म और जो समय परलोक में कटना है, वह सभी सुखपूर्वक कटेंगे. इसीलिए तो कहते हैं, नेकी कर दरिया में डाल.

धन के साथ गुमान आ ही जाता है. इसलिए हर धनी इंसान को रात में सोते समय एकबार अपनी स्थिति की तुलना अन्य लोगों से, फिर भगवान के अनंत ऐश्वर्य से कर लेनी चाहिए, उसके पांव जमीन पर ही रहते हैं.

संकलनः विवेक शुक्ला
संपादनः राजन प्रकाश

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