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बेहद कमजोर देह वाले त्रिजट को देख भगवान को थोड़ी मजाक सूझी. भगवान सब कुछ तो बांट चुके थे, दान दे चुके थे. वे त्रिजट से बोले,विप्रवर आप वहां चरती गायें देख रहे हैं, बस अपना ड़ंडा फेंकिये , जितनी दूर पर आपका ड़ंडा गिरेगा वहां तक की गऊएं आपकी.
त्रिजट ने अपनी धोती को भली प्रकार समेटी, एक लंबी सांस भरी, ड़ंड़े को तौला और पूरी ताकत लगा कर ड़ंड़ा फेंका तो वह सनसनाता हुआ सरयू के उस पार जा गिरा, लोग त्रिजट के कमजोर शरीर के इस असंभव ताकत को देख कर अचरज से भर उठे. वहाँ हजार से ज्यादा गाएं चर रही थीं.
भगवान ने त्रिजट को गले से लगा लगा लिया और बोले, यह सारी गाएं आपके आश्रम पर पहुंचा दी जायेंगी पर ब्राह्मण देवता मेरी बात का बुरा मत मानियेगा मैंने मजाक में ही ऐसी बात कह दी थी. गोदान लेने के बाद त्रिजट श्रीराम को धन्यवाद और आशीर्वाद देकर अपने घर के रास्ते पर बढ गया और गो दान कर रामचंद्र जी वन जाने के मार्ग पर.
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